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बचपन में संगीत से हुई लगाव और लोक गायक के रूप में उभरे टी आर कुर्बान

एक मुलाकत

बचपन में संगीत से हुई लगाव और लोक गायक के रूप में उभरे टी आर कुर्बान
(लक्ष्मी नारायण लहरे)
कोसीर । संगीत का जीवन में उतना ही महत्व है जितना जीवन जीने के लिए हवा की जरूरत होती है। गीत -संगीत मनुष्य के जीवन में नई उमंग नई जोश और उत्साह भर देती है कभी-कभी तो इंसान गीत सुनकर स्वयं से हंसता है और स्वयं से रोता है। यही संगीत है यह जो जीवन को एहसास कराती है। आज ऐसे ही एक बालक की चर्चा करेंगे जो अपने जीवन में उम्र के साथ लोक गायक बन गया और संगीत ने जीवन में बदलाव लाया । उनसे एक मुलाकत के दौरान हुई बात चीत के कुछ अंश ,टीकाराम कुर्बान अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि जब वे लगभग 10 वर्ष के थे तब वे तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे कोसीर गांव में संकुल स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता का आयोजन हुआ वहां संगीत की भी कार्यक्रम थी तब वे सीता की वेश में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किए और वह गीत था “करूं होगे आंसू कतेक ल रोवँव ” इस दिन से उनकी संगीत के प्रति लगाव इतना बढ़ गया कि वे हाई स्कूल पहुंचते-पहुंचते गीत लिखना शुरू किए और संगीत के प्रति लगाव बढ़ गया आज उन्हें लोग टी आर कुर्बान के नाम से जानते हैं। टी आर कुर्बान का जन्म 14 अक्टूबर 1979 को कोसीर मुख्यालय के गांव सिंघनपुर में हुआ उनके पिता का नाम सुरित राम कुर्बान और माता का नाम चंदाबाई कुर्बान है ।घर परिवार की व्यस्तता और संगीत से लगाव के कारण दसवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए टी आर कुर्बान ने बताया कि वे अब तक 50 से अधिक गीत लिख चुके हैं और 15 गीत अब तक ऑडियो में रिलीज हो गई है । सत्र 2006-7 के आसपास “सुन संगवारी नोहे लबारी जन जागृति लोक कला मंच “की स्थापना किये और इस मंच के माध्यम से लोगों तक पहुंचे और अपने गीत संगीत से समाज में अलख जगा रहे हैं ।
उनका पहला गीत ऑडियो में 2007 में रिलीज हुई जो बहुत ही कर्ण प्रिय रहा जिसका बोल था “सुन संगवारी नोहे लाबारी छत्तीसगढ़ मोर महान हे इन्हा जनमीन संत कवि अऊ गुरु घासी बाबा मोर महान है ।छत्तीसगढ़ के भुइयां म संगीत कला के बखान हे ” इस तरह अपनी लेखन और संगीत से आगे बढ़े वही करते हैं मुझे पता नहीं था पर विश्वास था कि मैं भी एक दिन लोगों के बीच स्टेज में गीत गाऊंगा और लोग ताली बजाएंगे आज मैं बचपन की उस घड़ी को याद करता हूं जब मुझे संगीत से लगा हुआ था तब मैं बहुत खुशी महसूस करता हूं ।कुर्बान बताते हैं कि मैं कांशी राम जी से बहुत प्रभावित था वही जनजागृति लोक कला मंच के माध्यम से बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी और संविधान पर आधारित कई गीत लिखा हूं और प्रस्तुति दिया हूं ।सारंगढ़ पुष्प वाटिका में गुरु घासीदास की जयंती पर अपनी कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं वही दूरदराज भी कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए अपनी टीम के साथ जाते हैं ।वहीं छत्तीसगढ़ संस्कृतिक विभाग के द्वारा भी कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं ।
26 अगस्त 2021 को दुर्ग के कसारिडीह में राज्य स्तरीय सतनाम भजन एवं वरिष्ठ लोक कलाकारों का महासम्मेलन सुरता देवदास बंजारे कार्यक्रम आयोजन आयोजित हुई थी। उस कार्यक्रम में टीकाराम कुर्बान को छत्तीसगढ़ सतनामी कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया वहीं उनके पूर्व कई मंचों से सम्मानित किया गया ।इसके पूर्व कई मंचों से सम्मानित हुए हैं उनके गीत यूट्यूब चैनल पर भी सुना जा सकता है आने वाले समय में कई गीत रिलीज होने वाले हैं वही आगे उन्होंने कहा कि मैं गीत संगीत के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करना चाहता हूं मुझे खुशी है कि आज लोग मेरे गीतों को सुनकर आनंद लेते हैं वही मेरे कई गीत ऐसे हैं जो समाज की व्यवस्था पर प्रहार करती है ।