छत्तीसगढ़बलरामपुर

बलरामपुर कलेक्टर की पहल से अनुभा और रंजन का अंग्रेजी स्कूल में दाखिला हुआ।

आर्थिक कमजोरी की वजह से परिजनों ने दोनों छात्रों को निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल से निकालकर हिंदी माध्यम स्कूल में भर्ती करवा दिया था,


बलरामपुर -: जिले में जिला प्रशासन की पहल से पांचवी कक्षा के 2 छात्र अनुभा और रंजन का अब अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाखिला हो गया है,आर्थिक कमजोरी की वजह से परिजनों ने दोनों छात्रों को निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल से निकालकर हिंदी माध्यम स्कूल में भर्ती करवा दिया था, लेकिन अब कलेक्टर की पहल से उनका दाखिला आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में हो चुका है।

प्रदेश में आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को जो लाभ मिला है वह उनके किसी सपने को पूरा करने से कम नहीं… आर्थिक कमजोरी की वजह से जो परिजन अपने बच्चों को हिंदी मध्यम स्कूल में पढ़ाने को मजबूर थे उनके लिए आत्मानन्द स्कूल किसी वरदान से कम नहीं.. दरअसल बलरामपुर जिले के 2 छात्र अनुभा और रंजन पहले शहर के ही निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते थे लेकिन कोरोना काल के दौरान भी स्कूल प्रबंधन के द्वारा फीस भरवाए जाने से नाराज अभिभावकों ने आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से बच्चों को निकाल कर गांव के ही हिंदी सरकारी स्कूल में भर्ती करा दिया..और यहीं अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर अनुभा और रंजन पढ़ाई करने लगे…लेकिन उनकी किस्मत में नई किरण तब पहुंची जब जिले के कलेक्टर कुंदन कुमार ने प्राथमिक शाला बरियाति सरना का औचक निरीक्षण किया…स्कूल के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने अनुभा और रंजन के प्रतिभाओं को देखा और जब जाना की आर्थिक कमजोरी की वजह से परिजनों ने इन्हें हिंदी माध्यम स्कूल में भर्ती करवाया है उसके बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर अनुभा और रंजन का दाखिला आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में करवाने को कहा…अनुभा और रंजन का अब दाखिला इंग्लिश मीडियम स्कूल में हो चुका है..अनुभा ने बताया कि वो पढ़लिखकर डॉक्टर बनना चाहती है।

अनुभा और रंजन के अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाखिले के बाद कलेक्टर ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद कहा है।

वही जिला प्रशासन की पहल से अनुभा और रंजन के हुए दाखिले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से शिक्षा का लाभ बच्चों को मिल रहा है..इससे बच्चे अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार नई उड़ान में उड़ने को उतारू हैं।