छत्तीसगढ़बिलासपुर

हुंकार रैली में स्मृति ईरानी को कांग्रेस दिखायेगी कला झंडा – विजय केशरवानी

हुंकार रैली में स्मृति ईरानी को कांग्रेस दिखायेगी कला झंडा __

बिलासपुर—-साथियों लगता है
हमारी योग्यता ही हमारी समस्या है। हमने जोन आंदोलन लाठी खाने के लिए नहीं किया..। हमने क्या सोचकर रेल आंदोलन किया..और अब हमारे साथ क्या हो रहा है। रत्नगर्भा धरती के गरीब बेटे आज रेलवे और केन्द्र सरकार की मनमानी के चलते अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। पिछले एक साल में सात बार रेलवे प्रशासन ने दबाव के बाद रेल चलाना तो दूर..एक सप्ताह के भीतर दबाव खत्म होते ही लोगों को नोटबन्दी की तरह संभाग की जनता को काउन्टर पर खड़ा कर दिया है। बिलासपुर समेत संभाग की जनता को दर्जन से अधिक बार टिकट कैन्सिलेशन के लिए घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर किया है। मित्रों जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले एक साल में रेलवे प्रशासन ने आधा दर्जन से अधिक बार कम से सात बार दर्जनों यात्री गाड़ियों को बन्द किया है। जब भी जनता ने दबाव बनाया तो रेलवे प्रशासन ने कुछ एक दिन चुनिन्दा यात्री गाड़ियों का परिचालन तो किया..लेकिन फिर अपग्रेडेशन समेत कई प्रकार का बहाना देकर चलाई गयी गाड़ियों को बन्द कर दिया है। दरअसल ऐसा लगता है कि रेलवे प्रशासन केन्द्र सरकार के इशारे पर बिलासपुर समेत संभाग की जनता को परेशान करने का बीड़ा उठा लिया है। हमारी धरती रत्नगर्भा है। बेशक बिलासपुर देश का सबसे छोटा जोन है...लेकिन एसईसीएल जोन को देश में सबसे कमाऊ पूत का दर्जा हासिल है। यही दर्जा आज हमारी समस्या है। अन्यथा देश के अन्य जोन की गाड़ियों का परिचालन इतने समय तक इतनी संख्या में कभी नहीं किया गया है। बताना चाहता हूं कि कोरोना के बाद फरवरी में एक दर्जन से अधिक यात्री गाड़ियों के पहियों पर ब्रेक लगाया गया। बताया गया कि टीकारण के बाद जल्द ही गाड़ियों को शुरू किया जाएगा। गाड़ियों का चलना तो दूर 24 अप्रैल से एक महीने के लिए 40 गाड़ियों को स्टेशनों पर खड़ा कर दिया गया। फिर मई मैं 24 ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगाया गया। जून में 36 ट्रेनों को अपग्रेडेशन का हवाला देकर रोका गया। जुलाई में 18 ट्रेन को मरम्मत का बहाना देकर बन्द किया गया। ठीक आजादी पर्व के एक दिन पहले 14 अगस्त को 68 गाड़ियों के पहियों पर रोक लगाया गया। सबको मालूम है कि हमारे संविधान की अवधारणा सामाजिक न्याय की है। बावजूद इसके केन्द्र सरकार आम जनता के साथ अन्याय करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अकेले कटनी लाइन में डेढ़ दर्जन से अधिक स्टेशनों के स्टापेज को बन्द कर दिया गया। रायपुर और रायगढ़ लाइन में भी कमोबेश यही स्थिति है। सैकड़ों परम्परागत स्टेशनों पर एक्सप्रेस तो दूर अब पैसेंजर गाड़िया भी नहीं रूकती है। जब इसका विरोध किया गया तो प्रदर्शन करने वालों पर अपराध दर्ज कर दिया गया। कांग्रेस नेताओं समेत बिलासपुर की जनता ने जब बिलासपुर दौरे पर बोर्ड चैयरमैन पर दबाव बनाया तो..केस को वापस लिए जाने के साथ ही यात्री गाड़ियों को दुबारा चलाने का आश्वासन मिला। केवल..आश्वासन..आश्वासन के बाद कुछ गाड़ियां चालू तो हुई..लेकिन बन्द भी हो गयी है। दर्ज अपराध आज भी कायम है। ढाई दशक बाद अब लगता है कि रेलवे जोन सिर्फ कोयला परिवहन करने के लिए ही खोला गया है। यही कारण है कि पिछले एक साल से पटरियों से यात्री गाड़ियां गायब है। सभी लाइन में मालगाड़ी ही मालगाड़ी दिखाई देती है। रिकार्ड तोड़ कोयला परिवहन से हमे नम्बर एक का दर्जा हासिल हो गया है। लेकिन यात्री सुविधा के नाम पर सारे अधिकार को रेलवे प्रशासन ने बन्धक बना लिया है। समझ में नहीं आता कि हाईटेक दुनिया में अपग्रेडेशन का बहाना रेलवे प्रशासन कब तक बनाएगा। कभी सिग्नल के नाम पर कभी मेन्टनेन्स के नाम पर तो कभी इन्टरलाकिंग के नाम पर यात्री गाड़ियों को बन्द कर दिया जाता है। शायद यह नियम मालगाड़ियों पर लागू नहीं होता। स्थानीय सांसद अरूण साव को प्रधानमंत्री चालिसा से फुरसत नहीं है। लोगों के प्रयास से जब यात्री गाड़िया चलने लगती है तो उनका पेपर में बयान आता है कि हमारे प्रयास से रेल मंत्री ने यात्री गाड़ियों का परिवहन शुरू किया है। कांग्रेस ने फैसला किया है कि जब तक यात्री गाड़ियां सुचारू रूप से नहीं चलने लगेंगी। तब तक हम बिलासपुर दौरा करने वाले केन्द्रीय नेताओं का विरोध करेंगे। हमने कुछ दिनों पहले केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का विरोध किया था। अब हम केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को काला झण्डा दिखाएंगे।

स्मृति ईरानी..का विरोध स्मृति ईरानी की हुंकार रैली दरअसल विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का मात्र प्रोपोगेन्डा है। केन्द्रीय मंत्री को हुंकार रैली में शामिल होने से पहले कम से कम होमवर्क तो कर लेना चाहिए। पता लगाना चाहिए था कि डॉ.रमन सिंह के कार्यकाल में महिला अपराध को लेकर देश में छत्तीसगढ़ ने हमेशा एक नम्बर हासिल किया है। आज देश में उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात बिहार छत्तीसगढ़ से बहुत आगे है। भूपेश सरकार के कार्यकाल में महिला और बाल अपराध में रिकार्ड तोड़ कमी आयी है। स्मृति ईरानी को कम से कम केन्द्र सरकार के अधीनस्थ एनआरसी का आंकड़ा को पढ़ लेना था। दिल्ली में महिलाएं सर्वाधिक असुरक्षित है। जबकि पुलिस केन्द्र सरकार की है। नौटंकी और धरना प्रदर्शन में माहिर केन्द्रीय मंत्री ईरानी की अभिनय प्रतिभा से हम अच्छी तरह वाकिफ है। जब पेट्रोल डीजल का दाम 65 रूपए था..उस समय मंहगाई के नाम पर सिलेन्डर सिर पर उठाकर हायतौबा कर रही थी। आज सिलेन्डर का दाम, पेट्रोल,डीजल का दाम आसमान पर है। ऐसे में कम से कम उन्हें जमीन पर तो महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए था।लेकिन मोदी भक्त स्मृति ऐसा हरगिज नहीं करेंगी।

१५ साल की रमन सरकार में गर्भाशय कांड, आँख फोड़वा कांड, नसबंदी कांड हुए, तब महिलाओं की मौत पर क्यों थी भाजपा मौन,,

उत्तर प्रदेश के उन्नवा मे भाजपा का दबंग विधायक रेप की को अंजाम देता था! पिडिता को बचाने और न्याय दिलाने के बजाए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मिलने से रोका गया! तब स्मृति ईरानी कहां थी! क्यों नही भरी वहाँ हुंकार…. देश स्मृति ईरानी और केंद्र सरकार के दोहरे चेहरे से वाक़िफ़ है! हम अच्छी तरह से जानते है कि हमारे संविधान में नेता बनने के लिए किसी शैक्षणिक सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। लेकिन उम्मीद की जाती है कि मंत्री सच ही बोलेंगे। बावजूद इसके ईरानी ने देश की जनता को गुमराह किया है। कभी खुद को 12 वीं पास तो कभी ग्रैज्एट कहती हैं। सच तो यह है कि केन्द्रीय मंत्री ने महिला होकर महिलाओं का अपमान किया है। सबरीमाला मंदिर पर दिया गया बयान अभी देश की महिलाएं भूली नहीं है। कभी मोदी का इस्तीफा मांगने वाली स्मृति ईरानी आज मोदी की तारीफ करते नहीं अघाती। लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि कभी बुरे लगने वाले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उन्हें क्यों सही लगते हैं। यह जानते हुए भी कि मोदी की नीतियों से देश का एक एक नागरिक खून के आंसू रोने को मजबूर है। खुद को आंटी नेशन वन कहने वाली तात्कालीन मानव संसाधन मंत्री केन्द्रीय मंत्री ईरानी को बताना होगा कि तेलंगाना के हैदराबाद में वेमुला के आत्महत्या के लिए कौन जिम्मेदार है। ऐसी महिला और दलित विरोधी मंत्री को अत्याचार की दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है। यदि दम है तो उत्तरप्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ हुंकार रैली निकालकर दिखाएं।