छत्तीसगढ़रायगढ़

हलफनामा फर्जी है या सही ये न्यायालय तय करेगी,रसुकदार जमीन माफियाओं के बीच उलझा गरीब आदिवासी किसान ,

पुलिस की थ्योरी में लीज पर दी गई बेशकीमती भूमि हड़पने झूठा हलफनामा पेश किए थे आरोपीगण…..

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहां हलफनामा फर्जी है या सही ये न्यायालय तय करेगी न कि विवादित करोड़ पति व्यपारी और पुलिस

रायगढ़..बीती शाम करीब 4 बजे जिले की विशेष अदालत के सामने उस वक्त शहर के नागरिकों और मिडिया कर्मियों की भीड़ जमा हो है। जब उन्हें पता चला कि दिनांक 24 दिसंबर 2022 की सुबह 7 बजे से थाना सिटी कोतवाली पुलिस ने रायगढ़ में स्टेशन चौक पर स्थित शहर के सबसे विवादित पेट्रोल पंप कारोबारी की शिकायत पर एक आदिवासी किसान को थाने में बिठा रखा है। उसे 25 दिसम्बर की शाम पुलिस विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश कर रिमांड में लेने वाली है।

प्रकरण को लेकर पुलिस ने अपनी एक थ्योरी बनाई है जिसमे कहा गया है कि कारोबारी अजीत मेहता पिता पी एल मेहता उम्र 66 साल के द्वारा थाना कोतवाली में ग्राम गुडगहन, जूटमिल निवासी मकसिरो भुईहर व अन्य 3 के विरुद्ध षड्यंत्र कर क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से धोखाधड़ी करने के संबंध में लिखित आवेदन दिया था। रिपोर्टकर्ता के लिखित आवेदन पर थाना प्रभारी कोतवाली निरीक्षक शनिप रात्रे के द्वारा आरोपियों पर धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर आरोपियों की पतासाजी, गिरफ्तारी के क्रम में आरोपियों के घर पर दबिश दी गई थी। जिस पर एक आरोपी को उसके सकुनत से हिरासत में लेकर थाने लाया गया। जिसे आज गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है, शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम दबिश दी जा रही है ।

रिपोर्टकर्ता अजीत मेहता ने शिकायत में लिखा है कि निगम रायगढ के वार्ड नबर 04 अंतर्गत जगतपुर पटवारी हल्का नंबर 48 के खसरा नंबर 5/2, 12/3ख, रकबा 0.3440 है, ख.नं. रकबा 1.0960 हे. तथा ख.न. 8 रकबा 0.0570 है. कुल रकबा 1.497 है. शीट नं. 6 मे स्थित 28/12 भूमि को वर्ष 2019 में पीलाराम निवासी गढउमरिया दर्रामुडा से पीलाराम की मृत्यु के पश्चात उसके द्वारा निष्पादित वसियत के के द्वारा भूमि स्वामी हक प्राप्त किया है। जिसके संबंध में कथित आरोपियों ने एक राय होकर राजस्व न्यायालय में झूठा हलफनामा देकर ऋण पुस्तिका गुम होने की सूचना देकर द्वितीय प्रति प्राप्त की है। जबकि भूमि की प्रथम ऋण पुस्तिका शिकायत कर्ता कारोबारी मेहता के पास में है। पुलिस के हिसाब से हिरासत में लिए गए आदिवासी किसान मकसीरो भूईंहर और सहयोगियों के इस कृत्य के विरुद्ध थाने में धोखाधड़ी और कूट रचना का अपराध कायम किया गया है।

जबकि पुलिस के द्वारा बनाए गए मामले को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मिश्रा ने सवाल उठाते हुए तर्क संगत बात कही है कि जिस अधेड़ आदिवासी के खिलाफ पुलिस ने शहर के सबसे विवादित कारोबारी के प्रभाव में आकर उसकी झूठी शिकायत प्रकरण बनाया है वो पूरी तरह से असंवैधानिक है। पीड़ित आदिवासी कानूनी प्रक्रिया के तहत अपने मृत पिता से विरासत में मिली भूमि की ऋण पुस्तिका प्राप्त की है। जिसके लिए तहसील न्यायालय ने पूरी विधिक प्रक्रिया चली है। पीठासीन अधिकारी के लिखित आदेश उपरांत ऋण पुस्तिका की द्वितीय प्रति बनी है। ऋण पुस्तिका के संबंध में न्यायालय में पेश किया गया हलफनामा सही है या गलत है यह न्यायाधीश तय करेंगे न कि विवादित व्यापारी मेहता और सिटी कोतवाली पुलिस करेगी। हुआ यूं है कि करोड़ो रुपए मूल्य की उक्त आदिवासी भूमि को इस इस बदनाम और विवादित व्यापारी ने अपने पैसों के बल पर झूठे दस्तावेज बनाकर अपने अधिकार और कब्जे में रखने का प्रयास किया है। इस प्रयास में उसने भूमि की प्रथम ऋण पुस्तिका को उसने अपने पास जबरदस्ती रख ली है। उक्त धूर्त कारोबारी ने मृत आदिवासी किसान पिलाराम भूईंहर के द्वारा बनाए गए फर्जी वसीयत नामा को आधार बनाते हुए राजस्व न्यायलय भूमि को अपने नाम चढ़ाने की कोशिश की। उसके इस कृत्य को अदालत ने अवैध बताते हुए दिनांक 8 जुन 2022 को अपने फैसले में न केवल पीड़ित आदिवासी किसान मकसिरो के नाम पर नकेल द्वितीय ऋण पुस्तिका प्रदान करने बल्कि प्रथम ऋण पुस्तिका को उक्त विवादित कारोबारी से जप्त कर अदालत में पेश करने का आदेश सिटी कोतवाली पुलिस को जारी किया था । न्यायालय के उक्त आदेश के विरुद्ध कारोबारी मेहता ने अपीलीय न्यायलय में आवेदन प्रस्तुत किया। परंतु अदालत ने उसकी अपील को सुनवाई के बाद पुनः खारिज कर दिया। इस तरह सिटी कोतवाली पुलिस ने राजस्व न्यायालय के आदेश को आश्चर्य जनक ढंग से अनदेखा करने का काम किया है। इधर इसी मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने कलेक्टर रायगढ़ रानू साहू और एस पी को पत्र लिखकर उन्हे आगामी तिथि तक आवश्यक रूप से पीड़ित आदिवासी किसान मकसीरो को भूमि का विधिक कब्जा दिलाने के निर्देश दिए है। इन सबकी जानकारी होते हुए भी शहर के इस अत्यंत विवादित व्यापारी के झूठे आवेदन पर सिटी कोतवाली पुलिस ने नियम विरुद्ध ढंग से कार्यवाही करते हुए उस गरीब आदिवासी किसान को अपनी हिरासत में ले लिया है को अपने पिता की भूमि उक्त कारोबारी के कब्जे से मुक्त कराने के उद्देश्य से विधिक लड़ाई लड़ रहा है। रायगढ़ की सिटी कोतवाली पुलिस की असंवैधानिक कार्यवाही की वजह से आज माननीय न्यायलय के समक्ष ऐसा मामला पेश आया है जो यह दर्शाता है कि पुलिस पीड़ित को न्याय दिलाने का काम करे न करे परंतु करोड़पति यों की सेवा करने हेतु नियम कायदों को तोड़ने से भी नही हिचकती है। यद्यपि वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मिश्रा ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उक्त आदिवासी को न्याय दिलाने के लिए वे बड़ी कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार है।

वही सिटी कोतवाली पुलिस की उक्त कार्यवाही के संबंध में न केवल शहर के गणमान्य नागरिकों बल्कि राजनीतिक हस्तियों और कानून विदों ने अपने विचार रखें है सभी ने अपने नजरिए से सिटी कोतवाली पुलिस की उक्त कार्यवाही को पूरी तरह से गलत और असंवैधानिक बताया है।

क्या कहते है लोग..

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष विनोद राजगोंड का कहना है कि एक भरे पूरे परिवार वाले आदिवासी किसान को ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि उसे कथित तौर पर लीज में अपनी करोड़ो रुपए मूल्य की निजी भूमि को शहर के सबसे विवादित और झगड़ालू कारोबारी मेहता के नाम वसीहत देने जाना पड़ा। पूरा शहर जानता है,कि जो व्यक्ति और परिवार अपने जीवन काल में एक छोटा सा भी समाजिक कार्य नहीं किया वह आदिवासी किसान की नि:स्वार्थ सेवा कैसे कर लेगा? संबंधित मामले में सिटी कोतवाली पुलिस की कार्यशैली पूरी तरह से गलत है। सर्व आदिवासी समाज न्यायालयों और आयोग के आदेश के आधार पर पीड़ित किसान के पक्ष की लड़ाई लड़ेगा। जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी किया जाएगा।

अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिला अध्यक्ष नवरत्न शर्मा कहते हैं, कि सिटी कोतवाली पुलिस की कार्यवाही पर मुझे किसी तरह का कोई सवाल नही उठाना है। बस इतना कहना है कि जब से मैंने पत्रकारिता शुरू की है तब से मेहता परिवार को किसी न किसी का शोषण और किसी न किसी से विवाद करते पाया है। शहर में ऐसा कोई व्यक्ति शेष नहीं बचा है, जिससे मेहता परिवार का विवाद नहीं हुआ है। दूसरे शब्दों में यह कहना है कि “शहर के सबसे बड़े नटवरलाल कहे जाने वालों को ठगने वाले निरीह आदिवासी ठग को अगली 26 जनवरी के दिन राष्ट्रीय हस्ती का सम्मान दिया जाना चाहिए.”

वही युवा अधिवक्ता गोपी यादव का कहना है, कि जहां तक मेरी समझ है,संबंधित मामले में पुलिस ने असंवैधानिक तरीके से एक पक्षीय कार्यवाही की है। जब तक पुलिस अपने आप को न्यायालयों से बड़ा और श्रेष्ठ मानते रहेगी तब तक इस तरह के मामले रोजाना सामने आते रहेंगे। मेरी जानकारी के अनुसार बीते कुछ साल पहले इसी विवादित कारोबारी परिवार के किसी सदस्य के विरुद्ध सिटी कोतवाली याने में आधा दर्जन से अधिक अपराधिक और गैरजमानतीय प्रकरण दर्ज रहे है,उक्त सभी प्रकरणों में पुलिस ने आरोपी मेहता की गिरफ्तारी को लेकर कभी ऐसी सक्रियता नही दिखाई जैसा कि इस गरीब और मजबूर आदिवासी को गिरफ्तार करने में दिखाई है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मिश्रा जी न्याय के पक्ष खड़े है,और सही तरीके से मुद्दे को उठाया है।

युवा भाजपा नेता अंशु टुटेजा का कहना है कि पूरी लड़ाई गरीब और मजबूर आदिवासी की करोड़ो रुपए मूल्य की जमीन हड़पने की है। एक तरफ रसूखदार विवादित करोड़पति कारोबारी मेहता जो भूमाफिया भी है वह अपने पैसो की ताकत दिखा रहा है तो दूसरी तरफ एक और करोड़ पति जमीन कारोबारी उक्त आदिवासी किसान का इस्तेमाल करने में लगा है। दरअसल में आदिवासी का गुनाह सिर्फ इतना है कि इस गरीब के नाम उसके मरहूम पिता की ऐसी बेशकीमती जमीन चढ़ गई है,जिसकी कीमत करोड़ो रूपयों में है,और शहर के कई जमीन माफिया उसकी इस जमीन पर गिद्ध नजर गड़ाए हुए है। इस घटना ने प्रदेश के कांग्रेस सरकार के उस दोहरे चरित्र को उजागर कर दिया है, जो खुद को आदिवासियों और गरीबों का सबसे बड़ा हितेषी बता कर सत्ता में आई थी। हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता संबंधित मामले को संज्ञान में लेकर पीड़ित के पक्ष में खड़े होने को तैयार है। मैं व्यक्तिगत रूप से पीड़ित आदिवासी युवक की हर संभव मदद करूंगा।