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7 साल के विमुद्रीकरण और “उच्च तकनीक, नैनो चिप प्रेरित” ₹2000 के नोटों की शुरूआत के बाद, सरकार ने इसे फिर से वापस लेने का फैसला किया

राकेश परिहार जी की कलम से

भविष्य के लिए बिल्कुल कोई दृष्टि नहीं है, यह सरकार केवल अपने दुर्भावनापूर्ण शासन को छिपाने के लिए व्याकुलता के लिए ही जानी जाएगी है।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में मोदी सरकार सबसे असंवेदनशील सरकारों में शुमार होगी..।
लगभग 7 साल के विमुद्रीकरण और “उच्च तकनीक, नैनो चिप प्रेरित” ₹2000 के नोटों की शुरूआत के बाद, सरकार ने इसे फिर से वापस लेने का फैसला किया है।
जबकि नोटबंदी के फैसलों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया था और कहा गया की इससे यह तीर से कई शिकार किया जायेगा… जैसे कालाधन समाप्त हो जायेगा, आतंकी फंडिग की कमर टूट जायेगी, आदि… पर हुआ उसका उल्ट ही… कालधान तो समाप्त तो नही बल्कि सूत्रों के अनुसार बढ़ जरूर गया।
मोदी सरकार को असंवेदनशील सरकार इसलिए कह रहा हुं क्युकी उनके सारे फैसलों में आज जनता के प्रति न्याय का कोई दृष्टिकोण नही होता … ।
नोटबंदी के वक्त को समय को कौन भूल सकता है .. 08नवंबर 2016 की वह काली रात … आज भी रात 8 बजते ही आंखों के सामने मंजर दौड़ जाता है पता नही आज रात 8 बजते ही क्या होगा।
मोदी सरकार के सबसे बड़े पदाधिकारी प्रधानमंत्री आए और सीधी फरमान जारी किया की आज रात 12 बजे से भारत में प्रचलित सभी नोट बंद कर दिए जायेंगे..।
क्या प्रधानमंत्री के मन मस्तीक में एक क्षण के लिए भी यह बात नही आई की उन बेटियो का क्या होगा जिनकी शादी होने की थी… उन बीमार माता – पिता ,भाई – बहनों का क्या जो बीमार थे उनका क्या होगा.. प्रधानमंत्री ने उन दिहाड़ी या रोज मांग कर खाने वालो का क्या होगा..। दहाहियो में लोग लाइन में लग कर अपनी जान गवा दी।

यह कोई पहली और आखिरी वाक्या नही जिस फैसले में असंवेदनशीलता नही झलकती हो ..
24 मार्च 2020 की शाम को, भारत सरकार ने भारत में 21 दिनों का पूर्ण लॉक डाउन का एलान कर दिया… लोगो को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे , किससे पूछे, कहा जाए, जबकि भारत सरकार भली भांति जानती थी भारत 70 % वे लोग है जो असंगठित क्षेत्र में कार्य कारते है। उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के लाखो लोग मजदूरी करने अलग अलग भारत के प्रदेशों में कार्य करने जाते है ।
इस वर्ग में भगदड़ सी मच गई लाखों लोग पैदल, साइकल, रिक्शा, आदि से निकल पड़े अपने अपने घरों के हजारों किलोमीटर की यात्रा में भूखे प्यासे …।
कई मंजरों को 3 साल बीत जाने के बाद भी भुलाया नही जा सका है।
प्रधानमंत्री संवेदनशील मुद्दों पर कभी बात नही करते फिर वह चाहे महंगाई की बात हो, बेरोजगार की बात हो, किसानों की बात हो, ।
प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार की बात तो करते है पर वह भी तेरा भ्रष्टाचार .. भ्रष्टाचार और मेरा भ्रष्टाचार उपहार….
कुल मिलाकर कहा जासकता है भविष्य के लिए बिल्कुल कोई दृष्टि नहीं है, यह सरकार केवल अपने दुर्भावनापूर्ण शासन को छिपाने के लिए व्याकुलता प्रेरित होकर सारी नीति पर कार्य कर रही है।