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अंगद के पांव की तरह जमे हुए घरघोड़ा अनुविभागीय अधिकारी?

अंगद के पांव की तरह जमे हुए घरघोड़ा अनुविभागीय अधिकारी?

एक ही तहसील में बीत गया लंबा अंतराल!!

रायगढ़/घरघोड़ा- प्रशासनिक स्तर पर कुछ पद ऐसे होते हैं,जिसमें स्थानांतरण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया होती है।

परन्तु लगता है रायगढ़ जिले में यह प्रक्रिया कुछ थम सी गई है। सूत्रों की माने तो जिले के राजस्व विभाग के अलावा कई अन्य विभागों के अफसर और बाबू सालों से एक ही जगह ओर जमे हुए हैं। इस क्रम में घरघोड़ा तहसील भी आता है।
आम तौर पर किसी भी सरकारी विभाग के बड़े पदों पर किसी अफसर की एक स्थान पर लंबे समय तक पदस्थापना नहीं की जाती है। ताकि एक ही जगह पर जमे रहने से उक्त अधिकारी और स्थानीय प्रभावी लोगों के बीच कोई विशेष संबंध न बन जाए! ऐसी सोंच सरकार की होती है और होनी भी यही चाहिए लेकिन घरघोड़ा के मामले में ऐसा होता दिखाई नहीं देता!

अब इसे आप घरघोड़ा से रायपुर तक की पहुंच कह लीजिए या रंगीन पत्तियों वाले गांधीजी की ताकत? जिले में पिछले 4 सालों के अंतराल में कई कलेक्टर आए और गए।

बड़े लेकिन घरघोड़ा अनुविभागीय अधिकारी अपनी जगह पर जस के तस बिल्कुल हिमखंड की तरह जमे हुए हैं ! सूत्र बताते है,कि साहब की पकड़ मुख्यालय से लेकर राजधानी रायपुर तक मजबूत है! यही वजह है कि घरघोड़ा के वर्तमान अनुविभागीय अधिकारी 16-02-18 से यहां पदस्थापित हैं। वे यहां तहसीलदार के पद पर आए थे। लेकिन प्रमोशन पाकर घरघोड़ा में ही SDM बन गए!

जबकि जिले के इतिहास उठाकर देखा जाए तो किसी भी विकासखंड में इतने लम्बे अंतराल तक कोई भी अनुविभागीय अधिकारी कही नहीं टिका रहा है ! ऐसे में घरघोड़ा में पिछले काफी लंबे समय से टिके SDM साहब नगर के लिए अब जन चर्चा का विषय बन चुके हैं !

भाजपा गई कांग्रेस आई फिर भी नहीं बदला साहब का ठिकाना !

कई बार ऐसा देखा गया है कि राज्य में नई सरकार बनते ही कई अधिकारियों के तबादले हो जाते हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी ऐसे तबादले देखे गए और आज भी जारी हैं! यहां यह भी बात सामने आ रही है कि कोरोना के कारण शायद अनुविभागीय अधिकारी बदले नहीं जा रहे हैं लेकिन इस कोरोना काल मे भी प्रशासनिक स्थानांतरण होता रहा है।

फिर क्या एक ही अधिकारी को 4 साल से भी ज्यादा बनाए रखने को लेकर प्रशासन की कुछ और मनसा है ?

या किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है ??

वस्तुतः यह जांच का विषय होना चाहिए कि आखिर किसकी मेहरबानी पर अनुविभागीय अधिकारी 4 साल से जमे हुए हैं। लेकिन यह सवाल आज भी अपना जवाब ढूंढ ही रहा है !!