गौरेला पेंड्रा मरवाहीछत्तीसगढ़

मनरेगा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर निर्माण कार्य ठप्प ,मजदूर हुए बेरोजगार सुध आखिर लेगा कोंन?

प्रवीण मौर्य की रिपोर्ट

मनरेगा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से मनरेगा के तहत चल रहे निर्माण कार्य ठप हजारों मजदूर हुए बेगार इन बेगार मजदूरों की जिम्मेदारी आख़िरकार लेगा कोंन?

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही- छत्तीसगढ़ में मांगों को लेकर शासकीय और अर्धशासकीय कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं वनकर्मियों के अनिश्चित हड़ताल पर जाने के बाद अब मनरेगा कर्मी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं मनरेगा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से मनरेगा के तहत चल रहे निर्माण कार्य ठप हो गए है।जिसके चलते हजारों मजदूर बेगार हो गए हैं, वहीं कहीं तालाब निर्माण का काम अधूरा है तो कहीं पर सड़क अधूरी बनी है। जिले में हजारो मनरेगा के मजदूर है जो पिछले चार दिन से काम बंद होने के कारण बेगार हो गए हैं। बता दें कि, केंद्र सरकार की लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा एक तरफ फंड की कमी से जूझ रहा है। वही दूसरी तरफ मनरेंगा कर्मियों की हड़ताल के प्रभावी ढंग से लागू होने के कारण पूरे जिले में मनरेगा मजदूरों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है।

मनरेगा कर्मचारियों द्वारा पोस्ट कार्ड डे मनाते हुए पोस्ट कार्ड के माध्यम से सरकार तक अपनी पीड़ा भेजी है पोस्ट कार्ड में योजना की उपलब्धि तथा नियामित्ति करण की घोषणा को याद दिलाते हुए नियामित्ति करण करने का उल्लेख किया गया। मनरेगा कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष शौरभ साहू ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव में किए गए वादो को पूरा नहीं किया गया जिस कारण सरकार के वादा खिलाफी को लेकर कर्मचारियों ने अपनी दो सूत्रीय मांग नियमितीकरण करने व नियमितीकरण की प्रकिया पूरी होने तक रोजगार सहायकों का वेतन निर्धारण करते हुए सभी मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। धरना स्थल पर सरकार के वादा-खिलाफी को लेकर वर्तमान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की जा रही है। मनरेगा कर्मियों को अन्य राजनीतिक पार्टियों से मिल इन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है लेकिन यह समर्थन क्या यह दर्शाता है कि वर्तमान सत्ता दल वादाखिलाफी कर रही है लेकिन क्या वही पार्टी सत्ता में होती तो वो अपने सभी वादे पूरी करती ये दुनिया है जनाब जहां कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क होता है लेकिन इन सबके बीच पीस तो गरीब मजदूर रहे है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नही । या यूं कहें पंचायती राज की ऐसी हालत हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।