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रायगढ़ पुलिस ने दुष्कर्म की पीड़िता को ही उसी थाने में पाक्सो और दुष्कर्म का सह_आरोपी बना दिया गया?

इस तरह कैसे पूरा हो पाएगा सोशल पुलिसिंग का सपना…

सामने आया एक अनोखा मामला,दुष्कर्म की पीड़िता को ही उसी थाने में पाक्सो और दुष्कर्म का सह_आरोपी बना दिया गया…

पत्रकार नितिन सिन्हा रायगढ़ की रिपोर्ट

रायगढ़.. एक तरफ रायगढ़ जिला मुख्यालय में नए डीआईजी राम गोपाल गर्ग पदभार ग्रहण करते हुए प्रेस वार्ता में सोशल पुलिसिंग को बढ़ाने का दावा कर रहे थे। तो वहीं दूसरी तरफ रायगढ़ जिला न्यायालय के बाहर बीते दिनों कोतवाली थाना रायगढ़ में दर्ज अपराध क्रमांक 307/23 मामले में कुछ चौका देने वाला प्रसंग लोगों के बीच चर्चा में था ।

संबंधित मामले में पुलिस के द्वारा बनाई गई सह आरोपी इसी थाने में एक साल पहले बलात्संग की एक शर्मनाक घटना में प्रार्थिया रही है। उक्त मामले में प्रार्थिया ने शाहीन बिरयानी सेंटर के परिवार से इरफान अली,कर्मचारी संदीप लकड़ा उसकी बहनों के विरुद्ध वर्ष 2022 में शारीरिक शोषण किए जाने की एक शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता ने अपनी शिकायत में घटना का विवरण देते हुए बताया था कि उसके साथ किस तरह आरोपी इरफान अली ने दुष्कर्म किया था,घटना के समय पीड़िता की उम्र मात्र 13 वर्ष थी। जिस पर जांच उपरांत सीटी कोतवाली पुलिस ने आरोपी गणों के खिलाफ (पॉक्सो जैसी गंभीर धारा को छोड़कर) दुष्कर्म और आदिवासी प्रताड़ना की धारा में अपराध पंजीबद्ध किया। प्रार्थिया ने अपनी शिकायत में घटना का वर्ष 2012/13 की बताई थी।

घटना में तब आश्चर्य जनक मोड़ आया जब प्रार्थियां को पता चला कि उसकी शिकायत के करीब चार पांच महीने बीत जाने के बाद सीटी कोतवाली थाने में रशुकदार आरोपी के यहां पीड़िता के साथ काम करने वाली एक हम उम्र युवती कि शिकायत पर पीड़िता (पहले मामले की प्रार्थिया)गुड़िया (परिवर्तित नाम)अपने भाई अविनाश पन्ना के खिलाफ पॉक्सो और दुष्कर्म का अपराध पंजीबद्ध किया गया है। यहां पर शिकायत कर्ता युवती ने करीब करीब उसी वर्ष के आसपास का हवाला देकर कहा था कि वर्ष 2012/13 में उससे दुष्कर्म करने में प्रार्थिया अपने भाई का सहयोग किया
था।

पीड़िता गुड़िया ने बताया कि उसकी एफआईआर पर जेल जाने वाले इरफान अली के परिजनों ने पीड़िता पर राजीनामा करने का भरपूर दबाव बनाया। उसे भरपूर प्रलोभन और धमकियां दी गई। परंतु सफल नही होने पर अंततः सिटी कोतवाली थाने में उसके खिलाफ एक झूठी शिकायत देकर उसके निर्दोष भाई सहित उस पर आश्चर्यजनक ढंग से 376,पाक्सो जैसी गम्भीर धाराओं एक अपराध पंजीबद्ध करवा दिया गया ।

संबधित मामले में उसके भाई को करीब ढाई महीने जेल में रहना पड़ा,उसके बाद उसे उच्च न्यायालय बिलासपुर से उसे जमानत मिल पाई। यही से पीड़िता गुड़िया का संघर्ष शुरू हुआ। उसके बताए अनुसार वह उस मामले में दोषी बनाए जाने के बाद छोटे से बच्चे के साथ वह फरारी काटने लगी। जबकि वो पूरी तरह से निर्दोष थी। यही वजह थी कि उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे रिमांड स्तर पर ही जमानत देते हुए माननीय न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अब पीड़िता पुलिस के डर से स्वतंत्र है,उसे पूरी उम्मीद है कि ईश्वर न्यायालय और उसके अधिवक्ता गण उसे इंसाफ दिला पाएंगे।

पीड़िता ने बताया कि उसके मामले में दिनांक 26/जुलाई/23 को रायगढ़ जिले के युवा होनहार अधिवक्ताओं प्रदीप कुमार राठौर और रौनक गौतम ने पैरवी की और अपने शानदार तर्क से आप दोनो ने न्यायालय को यह विश्वास दिलाया कि एक बनावटी मामले में पीड़िता को आरोपी बनाया गया है पीड़िता और इस मामले की आरोपिया जमानत की हकदार हैं।

वहीं पूरे घटना क्रम को लेकर युवा अधिवक्ता गणों का कहना है कि दिनाँक 19/नवंबर/2022 को पुलिस थाना सिटी कोतवाली में अपराध क्रमांक 1473/2022 दर्ज हुआ था।
प्रकरण में आवेदिका /अभियुक्ता की शिकायत पर थाना कोतवाली पुलिस ने पहले आरोपीगण इरफान अली, संदीप लकड़ा,सायरा बानो व यास्मिन मसीह के विरुद्ध अपराध अंतर्गत धारा 376, 376 छ, 506 / 34 तथा 3(2) (5) SC/ST एक्ट में दर्ज किया जाकर उनकी गिरफ्तारी की गई ।

माननीय विशेष न्यायाधीश महोदय ( SC/ST Act)रायगढ़ के न्यायालय में इसी मामले का अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है,जो कि विशेष अपराध क्रमांक अनुसूचित जाति जन जाति की धारा/01/2023, छ ग राज्य विरुद्ध इरफान अली व अन्य के रूप में विचाराधीन है।

उक्त मामले में रशुकदार आरोपीगण के द्वारा प्रार्थिया वर्तमान आवेदन की आवेदिका / अभियुक्ता गुड़िया के उपर पैसे लेकर राजीनामा कर लेने का भरपूर दबाव बनाया गया। यहां तक की प्रार्थिया के ना मानने पर गुंडे-बदमाश भेजकर प्रार्थिया तथा उसके परिवार वालों के उपर राजीनामा हेतु दबाव बनाया गया। इसके बाद आरोपीगण के विरुद्ध प्रार्थिया ने पुनः न्यायालय में कार्यवाही और अपनी सुरक्षा का आवेदन लगाया। जो कि आज भी राज्य विरुद्ध इरफान अली व अन्य के नाम से प्रक्रियाधीन है। पीड़िता पर राजीनामा करने के लिए पूरा जोर लगाने के बाद भी जब बात नही बनती दिखी और पीड़िता/प्रार्थिया टस से मस ना हुई,तब आरोपीगण के द्वारा सी टी कोतवाली पुलिस से सांठ-गांठ कर प्रार्थिया / वर्तमान आवेदन की आवेदिका / अभियुक्ता तथा उसके भाई अविनाश पन्ना के उपर पूर्णतः मिथ्या तथ्यों पर आधारित एक झूठा मुकदमा बनाया गया।

उपरोक्त घटना की जानकारी होने पर आवेदिका/अभियुक्ता के द्वारा थाना सिटी कोतवाली में लिखित आवेदन पेश किया गया। परन्तु दुर्भावनावश पुलिस प्रशासन ने आरोपीगण के साथ सांठ-गांठ में होने के कारण आवेदिका /अभियुक्ता की शिकायत पर कोई उचित कार्यवाही नहीं की।

तब हताश व निराश होकर आवेदिका/अभियुक्ता ने माननीय विशेष न्यायाधीश महोदय, रायगढ़ श्री जितेन्द्र जैन के समक्ष उपस्थित होकर न्याय की गुहार लगाई। जिस पर माननीय न्यायाधीश ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रार्थिया गुड़िया व उसके परिवार वालो को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए। लेकिन सुरक्षा देना तो दूर पुलिस ने उलट उसके भाई और पीड़िता को पॉक्सो और 376 के बनावटी मुकदमे में आरोपी बना दिया।

हालाकि पुलिस की इस के कृत्य की शिकायत प्रार्थिया ने राष्ट्रीय आयोग अनुसूचित जनजाति के समक्ष की है। मामले की जांच आयोग द्वारा की जा रही हैं। इधर असल घटना की प्रार्थिया को दूसरे फर्जी मामले में गिरफ्तार कर सीटी कोतवाली पुलिस ने रिमांड मांगा। जिस पर प्रार्थिया/आरोपिया की तरफ से दोनो युवा अधिवक्ताओं ने दमदारी से पैरवी की और प्रकरण की वास्तविकता से न्यायालय को अवगत कराया, जिसके बाद माननीय न्यायाधीश महोदय ने रिमांड स्तर पर ही जमानत का लाभ दे दिया। युवा तुर्क अधिवक्ता प्रदीप राठौर और रौनक गौतम ने मामले में विद्वान न्यायाधीश के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए,इस बात का भरोसा दिलाया कि प्रार्थिया गुड़िया पन्ना से जुड़ा दोनो प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है,हमारा बेहतर प्रयास रहेगा कि दोनो प्रकरणों की सच्चाई से न्यायालय को अवगत कराते हुए पीड़िता और उसके भाई को राहत दिला पाएँ। युवा अधिवक्ता गण रौनक गौतम और प्रदीप राठौर का कहना है कि ऐसे ज्यादातर मामले में पीड़ित पक्ष आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद कमजोर होता है,इसलिए निस्वार्थ भाव से उन्हे न्याय दिलाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है और भविष्य में भी रहेगा।।

इधर संबंधित मामले में पीड़िता और उसके युवा अधिवक्ता गणों ने अपना पक्ष रखा है,वही अभी सिटी कोतवाली पुलिस का पक्ष रखा जाना अभी शेष है।।