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या वो थे खफा हमसे या हम हैं खफा उनसे…
आज उनका जमाना है कल अपना जमाना था… (शंकर पांडेय)

या वो थे खफा हमसे या हम हैं खफा उनसे…
आज उनका जमाना है कल अपना जमाना था… (वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की कलम)

छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय कुछ राजनेता आजादी के पहले जन्मे हैं तो कुछ ने आजादी के बाद जन्म लिया है। इसीलिए ‘जनरेशन गेप” के चलते कांग्रेस और भाजपा में कुछेक वरिष्ठ नेताओं के विचार मेल नहींं खाते हैं। मतभेद, मनभेद के चलते इनकी राजनीतिक पार्टियों में विवाद की स्थिति तो बनती है वहीं इनके अनुभवों का लाभ भी छत्तीसगढ़ को उतना नहीं हो पा रहा है जितने की उम्मीद थी।

छत्तीसगढ़ में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर 21 जुलाई 1943 तो पूर्व मंत्री तथा विधायक सत्यनारायण शर्मा 1मई1943को जन्मे हैं , दोनो भाजपा/कांग्रेस के वरिष्ट विधायक हैं तो एक जनवरी 1946 आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने जन्म लिया था वहीं छग के वरिष्ठ सांसद रहे तथा वर्तमान में झारखंड के गवर्नर रमेश बैस की जन्म तिथि 2 अगस्त 1947 है। इनके जन्म के 13 दिन बाद ही भारत आजाद हुआ था। रमेश बैस छग के ही नहीं देश के भी वरिष्ठ सांसदों में एक रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी लोकसभा में बैस वरिष्ठ रहे हैं। उनसे केवल एक बार अधिक लोस चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन लोस अध्यक्ष रह चुकी हैं।
इनके बाद की पीढ़ी आजादी के बाद धरती पर आई है। 6अगस्त 1949को छग के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने जन्म लिया है तो लगातार तीन बार मुख्यमंत्री का ताज सम्हालने वाले डॉ. रमनसिंह 15 अक्टूबर 1952 को जन्म लिया। हेल्थ मिनिस्टर तथा सरगुजा राज परिवार के सदस्य टीएस सिंहदेव (बाबा) 31 अक्टूबर 1952 अर्थात रमन सिंह के जन्म के 15 दिन बाद ही जन्में हैं। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता , पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा छग विस अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत 13 दिसंबर 1954 को जन्म लिया है। छग की सबसे वरिष्ठ महिला विधायक डाक्टर रेणु अजीत जोगी ने 27अक्टूबर1950 को बिलासपुर में जन्म लिया था वहीं पहले मप्र में तथा अभी छग के मंत्री मंडल में शामिल वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे 28मई 1957में तो नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक 1फरवरी 58 को जन्मे हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा के वरिष्ठ विधायक तथा मप्र ,छग के पूर्व कबीना मंत्री बृजमोहन अग्रवाल एक मई 1959 को तो प्रदेश कांग्रेस के पूर्वअध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 23 अगस्त 1961 को जन्मे हैं। छग की गवर्नर सुश्री अंसुइया उइके का जन्म 10अप्रैल 1957 को हुआ है। वे कांग्रेस से मप्र की विधायक, राज्य मंत्री तथा भाजपा की राज्य सभा सदस्य, केंद्रीय महिलाआयोग की सदस्य होने के बाद छग की गवर्नर बनी हैं। सबसे कम उम्र के मंत्री रुद्र कुमार गुरू (13जुलाई 1977को जन्म )हैं, इनके पिता विजय गुरू भी मप्र में मंत्री रह चुके हैं।
आजादी के पहले जन्में तथा आजादी के बाद जन्में लोगों में पुरानी और नई पीढ़ी के विचारों में मतभेद की बात यदि मान भी ले तो आजादी के बाद जन्में लोगों के बीच विचारों में भिन्नता क्यों हैं? वैसे लोग कहते हैं कि सत्ता का नशा सबसे अधिक खतरनाक होता है। इतिहास गवाह है कि सत्ता को लेकर पिता-पुत्र में भी मतभेद हो जाता है तो छग में इन नेताओं के बीच एक ही नाता है वह है छत्तीसगढ़ निवासी होने का…

एक विधायक शैलेश… दूसरा वृहस्पति….?

छग में बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडे को अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर 6साल के लिए कांग्रेस से निकालने की सिफारिश विलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने की है… शैलेश ने आरोप लगाया था कि मंत्री सिंहदेव समर्थक पंकज सिंह के खिलाफ सिम्स के एक कर्मचारी की शिकायत पर पुलिस ने बिना जॉच के गैर जमानती धाराओं के तहत जुर्म कायम किया है, पिछले साल मेरे खिलाफ भी मामला दर्ज हो चुका है क्या इसके पीछे सिहदेव समर्थक होने के कारण ऊपरी दबाव तो नही है….? बस बिलासपुर कांग्रेस कमेटी के प्रभावशाली अटल श्रीवास्तव को बात खल गई और प्रस्ताव पारित हो गया…. अरे भाई सिंहदेव साहब पर मुख्य मंत्री बनने हत्या कराने का आरोप लगाने वाले विधायक वृहस्पति सिंह के कारण विधानसभा की कार्यवाही प्रभावित हुई, उनकी पत्र वार्ता में एक दर्जन विधायक, एक संसदीय सचिव शमिल हुए…. बाद में उन्होंने खेद प्रकट कर दिया… पर किसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित नही हुआ…. कार्यवाही की बात तो दूर है….. क्या वृहस्पति सिंह द्वारा झूठा आरोप लगाने का मामला अनुशासनहीनता की श्रेणी में नही आता था…..?

ब्रेन डेड.. और छग

दिमागी मौत यानि ब्रेनडेड….। इस तरह के मामले देश में एक लाख और छत्तीसगढ़ में करीब 200-250 मामले प्रतिवर्ष सामने आते हैं। लेकिन छग के किसी भी सरकारी या निजी हास्पिटल में ब्रेनडेड व्यक्ति के अंग ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। सिर्फ कार्निया ट्रांसप्लांट होता है। हाल ही में दो निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट जरूर हुए हैं।
ब्रेनडेड व्यक्ति के हार्ट, किडनी, लीवर यदि परिजनों की सहमति से निकाल लिया जाए तो मौत के करीब पहुंच चुके कुछ का जीवन बचाया जा सकता है। अभी यह सुविधा एम्स दिल्ली, केरल, मुंबई तथा चेन्नई के सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में उपलब्ध है। ज्ञात रहे कि छग में कार्निया, किडनी, लीवर ट्रांसप्लांट कराने वालों की संख्या काफी है।
ज्ञात रहे कि मृत्यु के 6 घंटे तक ही कार्निया सुरक्षित रहता है, कार्निया 24 घंटे के भीतर आई बैंक तक पहुंचना अनिवार्य है। किडनी ट्रांसप्लांट भी रायपुर के दो निजी अस्पतालों में हो चुका है पर सरकारी 700 बिस्तर अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। दुर्घटना में मौत या सामान्य मौत होने के बाद उस व्यक्ति का हृदय इस्तेमाल में लाया जा सकता है लेकिन मृत्यु के 4-6 घंटे के भीतर इसे सुरक्षित रखकर तत्काल जरूरत मंद को ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसी तरह लीवर ट्रांसप्लांट भी छग में जरूरी है क्योंकि छग में लीवर ट्रांसप्लांट कराने वाले व्यक्तियों की अधिकायत है। क्योंकि छग में लीवर सिरोसिस के मरीजों की संख्या भी काफी है। अधिक शराब सेवन कराने वालों को यह बीमारी आम बात है। बहरहाल छग में इन सुविधाओं की जरूरत है। केन्द्र और राज्य में अलग अलग पार्टी की सरकार है। इसलिए यह सुविधाएं उपलब्ध कराना कुछ मुश्किल तो है।

और अब बस…

0 1971 से 1979 के बीच बस्तर की जलवायु पाईन के लिए उपयुक्त मानकर 700 हेक्टेयर में साल वृक्षों को जड़ से उखाड़कर कैरेबियन पाईन रोपा गया था। कहा गया था कि पाईन से बेहतर कागज बनाया जाएगा और लोगों को चिलगोजा खाने को मिलेगा। पर 40 साल बाद न कागज का कारखाना खुला ना ही लोगों को चिलगोजा खाने मिला…..।
0छग में 3/4मंत्रियों को हटाने की भी चर्चा कुछ कांग्रेसी नेता कर रहे हैं।
0कांग्रेस/भाजपा समर्थक दो लोगों को सूचना आयुक्त बनाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।
0अब हाथियों के पास जानेवालों के खिलाफ वन विभाग कार्यवाही करेगा।