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जमीन दलालों से मेडिकल कालेज क्षेत्र के आदिवासियों की जमीन वापस दिलाई जाएगी:-  विमल यादव कांग्रेस नेता

जमीन दलालों से मेडिकल कालेज क्षेत्र के आदिवासियों की जमीन वापस दिलाई जाएगी*-  विमल यादव कांग्रेस नेता

पटवारी पवन चौहान और अन्य कुख्यात जमीन दलालों के हाथों फंसी है दर्जनो गरीब आदिवासी किसानों की ऋण पुस्तिका

रायगढ़:- शहर के मेडिकल कालेज क्षेत्र में बीते दस बारह सालों से जमीनों की खरीद-बिक्री बढ़ने के साथ क्षेत्र में शहर के कई जमीन दलाल भी सक्रिय हो गए।

इन जमीन दलालों ने क्षेत्र में बन रहे विशाल मेडिकल कालेज कैम्पस का हवाला देकर न केवल खरीददारों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया,बल्कि भूमि स्वामी किसानों को भी तत्तकालीन कीमत पर जमींन बेचने के लिए तैयार किया। इस तरह एक पूरा नेक्सस इस क्षेत्र में लगा रहा। पीड़ित किसानों के बताए अनुसार तब जमीन दलाली की आड़ में कुछ अवसरवादी और आपराधिक किस्म के लोग भी सक्रिय हुए। इन लोगों में तब का एक बहुचर्चित और शातिर दिमाग जमीन दलाल और निलम्बित पटवारी पवन चौहान भी शामिल था। आम तौर पर पवन पटवारी उर्फ पवन चौहान जमीन खरीद बिक्री का काम अकेले नही करता था। इस काम के लिए उसने  एक गिरोह बना लिया था। इसमें उसका मुख्य सिपाह सलार था रतन लाल महंत (ग्राम उर्दना कोटवार) व अन्य 5/7 लोग भी शामिल थे। जिन्हें पीड़ित आदिवासी नाम से नही जानते थे, बल्कि चेहरे से टीम के हर सदस्य को जानते है। 

तब मेडिकल कालेज प्रबन्धन अपने विस्तार के लिए आसपास की जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया में लगा हुआ था। क्षेत्र के किसानों को इस बात की चिंता थी कि कहीं उनकी जमीनें अधिग्रहण में चली न जाएं। इस विषय मे बताते हुए पीड़ित किसानों में से एक छवि बताते है कि निलम्बित पटवारी पवन चौहान और उसकी टीम इस बात का भरपूर फायदा उठाया और स्थानीय खड़िया आदिवासियों को ​​बरगला पाने में सफल हुए। उन्होंने किसी किसान को 10 तो किसी को 20 हजार रुपये देकर उनकी ऋण पुस्तिका अपने पास यह कह कर रख ली कि उसकी राजस्व विभाग के बड़े अधिकारियों से सीधी सेटिंग है आप खड़िया आदिवासियों की भूमि वह सामान्य लोगों को रजिस्ट्री करवा कर जल्दी ही उन्हें अच्छी रकम दिला देंगे। तब यह सौदा करीब 15 लाख रु एकड़ में तय हुई थी। 

इस बीच निलम्बित पटवारी और जमीन दलाल पवन ने क्षेत्र के कुछ आदिवासी और कोटवारों की भूमि राजस्व मंडल के फ़र्ज़ी आदेशों का सहारा लेकर कुछ रसूखदारों के नाम रजिस्ट्री करवा दी। हालांकि यह सभी रजिस्ट्रियां आने वाले कुछ सालों में रद्द कर दी गई। इस तरह करीब 10 साल बीत गए,तब उसके द्वारा छले गए क्षेत्र के दर्जनों आदिवासी किसानों की ऋण पुस्तिका अब पटवारी पवन और उसकी टीम के पास फंसी रह गई। इस वजह से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस अंतराल में कई किसान मर भी गए। 

इस पर जब भी किसान अपनी ऋण पुस्तिका लेने जमीन दलाल पवन या रतन के पास गए उन्हें इनके द्वारा यह कहा गया कि आप लोगों को ऋण पुस्तिका लेनी हो तो हमारे द्वारा दी गई रकम जो 22 लाख रु है ले आओ और ऋण पुस्तिका ले जाओ। इस बीच एक और नाम पीड़ित किसानों के सामने आया व्व नाम था फ़ाहरुक खान का जिसने उनसे कहा कि उसने भी किसानो को 6 लाख 50 हजार रु दिए हैं। 

छवि बताते है कि पवन के साथ शामिल सभी जमीन दलाल आदिवासी किसानों सिधाई का नाजायज फायदा उठा रहे थे,चुकी उनके साथ कुछ गुंडे किस्म के लोग थे,वे किसानों को डराने का काम करने लगे  थे। जमीन दलाल पवन के मध्यम से किसानों को दस साल पहले महज 2 लाख 75 हजार रु ही दिए गए थे। इनमें एक ऊंचा लंबा व्यक्ति खुद को सिटी कोतवाली का पुलिस अधिकारी बता कर यह दबाव देने लगा कि जैसा पवन बोल रहा है वैसा करो नही तो सब के सब को जेल भेज दूंगा।

इतनी मानसिक यातनाओं के बाद किसानों को समझ आ चुका था,कि वे बुरी तरह से छले जा चुके है। ऋण पुस्तिका के अभाव में किसानों को उनके खेतो से धान बेचना या खाद खरीदने के अलावा अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा था। जबकि जमीन दलाल अलग-अलग लोगों को लाकर उनकी जमीनों को दिखा कर सौदेबाजी में लगे थे।

स्थानीय पार्षदों के द्वारा अपने परिवार के एक सदस्य की भूमि वापस दिलाये जाने के बाद बढ़ा विश्वास – मोतीलाल 

इसी बीच एक ऐसी घटना घटी जिंसमे एक अन्य भूमाफिया के हाथों वार्ड क्रमांक 26 और 27 कि महिला पार्षदों जिनमे सुश्री संजना शर्मा और श्रीमती पिंकी विमल यादव की मदद से उनके ही परिवार के एक सदस्य की बेशकीमती भूमि जो मेडिकल कालेज रोड पर कालेज के ठीक सामने स्थित है को मुक्त कराया गया। 

हुआ कुछ यूं था कि तत्कालीन पटवारी के साथ सांठगांठ कर ग्राम जुरडा के जमीन कारोबारी ने बड़े अतरमुड़ा के एक पीड़ित आदिवासी की 4 डिसमिल भूमि और मन्दिर की जगह को मौके से गायब बातए कर फ़र्ज़ी सीमांकन के आधार पर रातों-रात बालात कब्जा करने का प्रयास कर रहा था। उसने न केवल मन्दिर की दीवार गिरा दी थी,बल्कि jcb की सहायता से आधा दर्जन पेड़ उखाड़ कर पीड़ित आदिवासी किसान की भूमि पर मिट्टी फिलिंग कर कब्जा करने लगा था। पीड़ित अपनी मदद के लिए वार्ड क्रमांक 26 के पार्षद पति और कांग्रेसी नेता विमल यादव के पास पहुंचा। उनकी सलाह पर उसने वार्ड क्रमांक 27 की महिला पार्षद सुश्री संजना शर्मा और वार्ड क्रमांक 26 श्रीमती पिंकी विमल यादव को अपनी समश्या बताई। वे मन्दिर के पुजारी को साथ लेकर दोनों पार्षदों सहित संवेदनशील विधायक प्रकाश नायक के पास गए। 

उनके समक्ष भी उन्होंने अपनी समश्या का जिक्र कर मदद करने की अपील की। विधायक श्री नायक ने पीड़ित का आवेदन लेने के बाद तुरंत राजस्व अधिकारियों को पीड़ितों की मदद करने की बात कही। आनन-फानन में sdm रायगढ ने राजस्व निरीक्षक और दो पटवारियों को मौके पर भेज कर वस्तु स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। इस तरह विधायक प्रकाश नायक और दोनों महिला पार्षदों की मदद से पीड़ित किसान को उसकी भूमि वापस मिल गई तथा मन्दिर की जो दीवाल भूमाफिया के द्वारा तोड़ी गई थी उसे वापस बना कर देने का निर्देश मिला। 

इस घटना से प्रेरित होकर पीड़ित किसान एक बार फिर पुनः वार्ड पार्षद पिंकी विमल यादव के पास गए और घटना क्रम बताया। इस बार भी पीड़ितो के साथ लेकर स्वयं युवा नेता विमल यादव विधायक प्रकाश नायक के समक्ष उपस्थित हुए। उन्हें जमीन दलालों की करतूत बताकर 10 सालों से उनके पास अवैध रूप से रखी उनकी ऋण-पुस्तिका वापस दिलाने की मांग की है। किसानों की फरियाद सुनकर विधायक श्री नायक ने उन्हें अपनी तरफ से हर सम्भव मदद करने और पार्षद पति व कांग्रेस नेता विमल यादव के साथ सम्बन्धित अधिकारियों के साथ थाने में लिखित शिकायत देने को कहा है।

घटना क्रम को लेकर विमल यादव कहते है कि उनके क्षेत्र के किसान बेहद सीधे और सरल है इसी बात का फायदा पवन और उसकी दलाल गैंग ने उठाया है। यद्यपि अब इस मामले में खुद विधायक और कलेक्टर रायगढ़ ने संज्ञान लिया है अतः सभी पीड़ितों को दलालों के चुंगल से बाहर निकाला जाएगा और उनकी ऋण पुस्तिका उन्हें वापस दिलाने में भी वो सफल होंगे।