छत्तीसगढ़बिलासपुर

पत्रकार द्वारा (श्रमिक दिवस) से अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह।

(श्रमिक दिवस) से अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह


प्रशासनिक अतिवाद और स्वेच्छाचारिता के विरोध में एक मई

महासमुन्द। प्रेस क्लब महासमुन्द में आयोजित प्रेसवार्ता में आनंदराम पत्रकारश्री ने कहा कि जिले में इन दिनों प्रशासनिक अतिवाद और स्वेच्छाचारिता चरम पर है। इससे आम आदमी की तकलीफ दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसके विरोध में उन्होंने कल एक मई (श्रमिक दिवस) से अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह करने का निश्चय किया है। पांच सूत्रीय मांगों को लेकर वे मौन सत्याग्रह करने जा रहे हैं।

आनंदराम पत्रकारश्री ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सुनियोजित षडयंत्र करते हुए उनके मीडिया हाउस (प्रेस कार्यालय) को उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद आनन-फानन में ढहा दिया गया। इससे उन्हें अपूरर्णीय मानसिक और आर्थिक क्षति हुई है। बिना किसी पूर्व सूचना अथवा सक्षम अनुमति के इस तरह से भूमिस्वामी मद के प्रेस कार्यालय को ढहाना प्रशासनिक आतंकवाद का बड़ा नमूना है। ऐसा करके प्रशासन के कतिपय जिम्मेदार अधिकारी आम जनता को आतंकित कर रहे हैं।

उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की अवमानना और प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल के आदेश की अवहेलना महासमुन्द में साधारण बात हो गई है। इसका पुरजोर विरोध और आम आदमी की तकलीफों को करीब से महसूस करने के लिए, खुद के साथ हो रही ज्यादती के प्रतिकार स्वरूप उन्होंने मौन सत्याग्रह करने का संकल्प लिया है। अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर पत्रकारश्री नित्य सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक (प्रतिदिन 8 घंटा) मौन धारण कर अतिवादी रवैये का विरोध करेंगे। गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलन से प्रेरित इस मौन प्रदर्शन में वे रोज 8 घंटा मौन व्रत धारण कर अतिवादी प्रवृत्ति के लोक सेवकों की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करेंगे।

आनंदराम पत्रकारश्री ने बताया कि यह आवश्यक नहीं है कि यह आंदोलन वे एक ही स्थान पर धरना देकर ही करें। जहां भी जाएंगे, जहां भी रहेंगे। रोज सुबह 10 से शाम 6 बजे तक मौन व्रत धारण कर अतिवादी व्यवस्था का विरोध करेंगे। जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक यह मौन सत्याग्रह जारी रहेगा।

यह है पांच सूत्रीय मांगें

  1. माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के स्थगन आदेश की अवहेलना कर अंबेडकर चौक महासमुन्द स्थित मीडिया हाउस (हमारे प्रेस कार्यालय) को ढहाने वालों के खिलाफ तत्काल एफआईआर और अनुशासनात्मक/दण्डात्मक कार्यवाही हो।
  2. लोकतंत्र का चौथा अंग ‘मीडिया’ को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए, इसके लिए (श्रीपुर एक्सप्रेस और media24media के) महासमुन्द कार्यालय का व्यवस्थापन कर, तोड़फोड़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए समुचित क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाए।
  3. लोक निर्माण विभाग ( सेतु निर्माण) महासमुन्द के अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निर्माणाधीन तुमगांव रेलवे ओवरब्रिज के इर्द-गिर्द गुमटी/ठेला लगवाकर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कराया जा रहा है। इसकी आड़ में गरीबों (श्रमिकों) से उगाही की जा रही है। समूचे मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, ब्रिज के आसपास अतिक्रमण को तत्काल रोका जाए। और दोषियों पर दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।
  4. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के आदेश की अवज्ञा करते हुए जिला प्रशासन महासमुन्द के अधिकारियों ने नर्रा कांड की दण्डाधिकारी जांच अब तक संस्थित नहीं की है। 8 महीने बाद भी दण्डाधिकारी जांच नहीं कराने, स्वेच्छाचारिता करने वाले जिलाधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक/दंडात्मक कार्यवाही कर ग्रामीणों को न्याय दिलाई जाए।
  5. छत्तीसगढ़ में कार्यरत सभी पत्रकारों और समाचार पत्र कर्मचारियों को राज्य सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में मजीठिया वेज बोर्ड अनुरूप वेतन दिलाना सुनिश्चित करें। चुनावी घोषणा पत्र में शामिल पत्रकार सुरक्षा कानून को अविलम्ब लागू करें। आनंदराम पत्रकारश्री
    30.04.2022