छत्तीसगढ़रायपुर

वो हादसा भी कितना
अजीबो गरीब था….
वो आग से जला जो
नदी के करीब था…. (वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की कलम से)

वो हादसा भी कितना
अजीबो गरीब था….
वो आग से जला जो
नदी के करीब था….

छत्तीसगढ़ में अगला विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से अधिक का समय बचा है पर अभी से शह और मात का खेल शुरू हो गया है, सत्ताधारी दल कांग्रेस में तो भूपेश बघेल को प्रमुख चेहरा बनाकर चुनाव लड़ना लगभग तय है पर भाजपा में नरेन्द मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना है ऐसा लगता है।भाजपा में सब कुछ ठीक चल रहा है? ये सवाल इन दिनों जरूर पूछा जा रहा है क्योंकि बीते एक महीने के भीतर पार्टी के अंदर कई बदलाव किए गए हैं। बहुत से ऐसे चेहरे सामने आए हैं, जिनका प्रदेश भर में शायद ही बड़ा नाम रहा होगा। वहीं, दूसरी ओर बड़े चेहरे के नेताओं को किनारा कर दिया गया है। ये सबकुछ संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में हुआ । ऐसे में सियासी गलियारों में यह सवाल तैर रहे हैं कि दो बड़े नेता जब सारे फैसले ले रहे हैं, तो पूर्व सीएम रमन सिंह क्या कर रहे हैं….?भाजपा लगातार राज्य में बदलाव की ओर बढ़ रही। यही वजह है कि पहले प्रदेश अध्यक्ष, फिर नेता प्रतिपक्ष और अब पार्टी प्रभारी को राष्ट्रीय नेतृत्व ने बदल दिया है। ये बदलाव इसलिए भी देखा जा रहा कि छग में लगातार परफॉर्मेंस को लेकर सवाल उठते रहे हैं। जिसको लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व काफी नाराज चल रहा था। ऐसा कहा जा रहा कि छग में भी भाजपा गुटीय प्रबंधन का शिकार हो रही। ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी और नेताओं की एकजुटता को बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं। साथ ही दिग्गज नेताओं का भी छत्तीसगढ़ दौरा तेज हो गया है। बड़े बदलाव में एक नाम और भाजपा का बड़ा चेहरा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। छग में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भाजपा का एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्हें सामने रखकर पार्टी ने 15 साल शासन किया है। रमन सिंह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैँ । वहीं, कांग्रेस की सरकार आने के बाद डॉ रमन की विपक्ष की भूमिका को लेकर बहुत से सवाल खड़े होने लगे हैं।हालांकि रमन सिंह भाजपा के हर कार्यक्रम में नजर आते हैं। पार्टी के आंदोलनों में वह सड़क पर नजर आते हैं। सूत्रों का कहना है कि पुत्रमोह भारी पड़ गया है डॉक्टर साहब को…?डॉ रमन सिंह ने छग में लंबी सियासी पारी खेली है। सत्ता के गलियारों में यह भी चर्चा है कि रमन सिंह अब बेटे अभिषेक सिंह को आगे लाने में लगे हुए हैं। रमन सिंह सीएम रहते हुए बेटे अभिषेक सिह को 2014 में राजनांदगांव लोकसभा से सीट से चुनाव का टिकट भाजपा ने दिया था। अभिषेक सांसद भी रहे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बेटे अभिषेक को टिकट नहीं मिला। इसके साथ ही उन्हें विधानसभा चुनाव में भी टिकट नहीं मिला। कथित तौर पर उन पर यह आरोप लगता है कि वह बेटे को सेट करने में लगे हैं।वहीं, सवाल यह भी उठता है कि 2023 में अगर रमन सिंह नहीं तो फिर पार्टी किसके ऊपर दांव लगाएगी….! रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल ही भाजपा के पास ऐसा चेहरा छग में हैं, जिनकी पहचान बस्तर से लेकर रायपुर तक है। वहीं, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से ही ओबीसी और कुर्मी वोट बैंक बढ़कर सामने आया है। अब भाजपा भी अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष और नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष (दोनों बिलासपुर संभाग से) बनाकर ओबीसी और कुर्मी वोट को साधने का काम कर रही है।वैसे आदिवासियों को कैसे साधा जाएगा यह देखना है..?

छग के राजा ने किया
था चीतों का शिकार..!

कोरिया रियासत के राजमहल के एक कमरे में मारे गए अंतिम चीतों के सिर टंगे हुए हैं (फोटो ऊपर)।पुराने दस्तावेज़ बताते हैं कि दिसंबर 1947 में कोरिया के महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव ने अपनी रियासत के रामगढ़ इलाक़े में तीन चीतों का शिकार किया था.उसके बाद भारत में एशियाई चीतों के कोई प्रमाण नहीं मिले और भारत सरकार ने 1952 में चीता को भारत में विलुप्त प्राणी घोषित कर दिया।ऐसा माना जाता है कि भारत के आखिरी तीन चीतों का साल 1947 या फिर 1948 में शिकार किया गया था. यह शिकार सरगुजा स्टेट की कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने किया था. आज यह रियासत छत्तीसगढ़ का हिस्सा है लेकिन आजादी के वक्त यह मध्य प्रदेश का हिस्सा थी। महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव की तीन चीतों के शिकार की तस्वीर बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पास जमा है। बताया जाता है कि कोरिया रियासत के ग्रामीणों ने महाराजा से शिकायत की थी कि कोई जंगली जानवर उनके मवेशियों को मार रहा है. साथ ही जंगली जानवर कुछ ग्रामीणों को भी मार चुके हैं। जिसके बाद ही महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने तीन चीतों का शिकार किया…. वैसे एक तर्क यह भी है कि सरगुजा क्षेत्र में बड़े घास के जंगल ही नहीं हैं ऐसे में वहाँ चीतों का होना भी संदेहास्पद है…।ये भी माना जाता है कि कोरिया रियासत के पास ही एक और रियासत है अंबिकापुर…., वहां के राजा थे रामानुज शरण सिंह देव. अंबिकापुर के राजा ने बड़ी संख्या में शेरों का शिकार किया था।ऐसे में मान्यता ये भी है कि अंबिकापुर के राजा ने आखिरी तीन चीतों का शिकार किया हो लेकिन एक जैसा नाम होने के चलते भ्रम होता है कि आखिर किस राजा ने चीतों का शिकार किया….? बताया जाता है कि अंबिकापुर के जंगलों से सटे कुछ गांवों में चीतों ने जानवरों का शिकार किया था। चीतों की दखल से ग्रामीण भयभीत रहते थे। उन्हें यह डर रहता था कि जानवरों की तरह कहीं चीते इंसानों को भी अपना निवाला न बना लें। इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव को दी। उस समय के कुछ रिपोर्ट में यह भी दावा किया जाता है कि चीतों ने इंसानों पर भी हमला किया था। खबर मिलने के बाद राजा चीतों के शिकार पर निकल पड़े। उन्होंने बंदूक से तीन नर चीतों को ढेर किया था। वैसे रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म 1901 में हुआ था। वह कोरिया रियासत के आखिरी महाराजा थे । छोटानागपुर की राजकुमारी दुर्गावती देवी के साथ 1920 में उनकी शादी हुई थी। राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। 1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ हिस्सा भी लिया था।6अगस्त 1954 को राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का निधन हो गया। वह कोरिया राज्य के आखिरी महाराजा थे । उनके बेटे स्व.रामचंद्र सिंहदेव एमपी /छ्ग सरकार में मंत्री भी रहे हैं।

जोगी कांग्रेस में जंग
के हालात….

छ्ग में स्व. अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़िया को नेतृत्व मिले इस सपने को लेकर नई पार्टी बनाई थी पर उनके निधन के बाद पार्टी टूटने की कगार पर है…..? जोगी कॉंग्रेस से विस में विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा एक अन्य विधायक प्रमोद शर्मा द्वारा धर्मजीत सिंह के साथ जाने की घोषणा के बाद अब इस पार्टी में केवल एकमात्र डॉ रेणु जोगी ही विधायक ऱह जाएंगी ऐसा लगता है। इस मामले में अमित जोगी फिर चर्चा में हैँ। यहां यह बताना भी जरुरी है कि कॉंग्रेस से अलग होकर जोगी कॉंग्रेस बनाने के पीछे भी अमित जोगी ही एक बड़ा कारण थे …..?

जुनेजा का कार्यकाल
2वर्षों का होगा…

छ्ग में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव डीजीपी जुनेजा ही कराएँगे…।आईपीएस अशोक जुनेजा अभी तक प्रभारी पुलिस महानिदेशक के तौर पर पद पर थे लेकिन अब यूपीएससी से हरी झंडी मिलने के बाद वे पूर्णकालिक पुलिस महानिदेशक बन गए हैँ। उनका जून 2023 में रिटायरमेंट होना था जिसके बाद पुलिस विभाग के लिए नए डीजीपी की नियुक्ति करनी होती लेकिन इस आदेश के बाद आज की अवधि से उनका कार्यकाल 2 साल का बढ़ा है जिसके बाद वे अगस्त 2024 में रिटायर होंगे। यहाँ यह बताना जरुरी है कि भारत सरकार ने कुछ माह पहले डीजी इम्पैनल पैनल लिस्ट जारी की थी , इसमें अशोक जुनेजा का भी नाम था। वैसे छत्तीसगढ़ कैडर राज्य में 1988 बैंच के चार आईपीएस थे। इसमें स्पेशल डीजी आरके विज पिछले साल रिटायर हो गए हैं। इसी माह 30सितम्बर में मुकेश गुप्ता रिटायर हो जाएंगे । जुलाई 2023 में स्पेशल डीजी संजय पिल्ले का रिटायरमेंट है। लंबे समय से केंद्र में प्रतिनियुक्त पर गए रवि सिन्हा जनवरी 2024 में रिटायर होंगे ।
सीनियर आईपीएस और पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी अप्रैल 2023 में रिटायर होंगे।2024 की शुरुआती माह में 1989 बैच के स्पेशल डीजी राजेश मिश्रा रिटायर होंगे।

और अब बस…

0बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव राज का दावा है कि कोहिनूर कभी काकतीय राजपरिवार की संपत्ति रहा है। उसकी देवी मंदिर या राजकोष की चोरी हुई थी। उसे वापस भारत लाने वारंगल में दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।
0 दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में आयकर विभाग ने छ्ग के किन अफसरों और कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है…?
0 छ्ग सरकार के मंत्री क़वासी लखमा ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि अगले विस चुनाव में डॉ रमन और बृजमोहन कांग्रेस को मदद करेंगे….?
0सीएम के करीबी बिलासपुर संभाग के एक नेता भी तबादला/पोस्टिंग में सक्रिय हो गए हैं….?