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लिंगियाडीह के खसरा नम्बर 198/577 की जांच शुरू ….शिकायतकर्ता का सरकंडा पुलिस ने किया बयान दर्ज …

लिंगियाडीह के खसरा नम्बर 198/577 की जांच शुरू ….शिकायतकर्ता का सरकंडा पुलिस ने किया बयान दर्ज

पुलिस ने जांच आगे बढ़ा दी है बहुत जल्द इस खेल में शामिल लोगो पर होगी एफआईआर ?

खसरा नम्बर 198/577 को मोपका के शासकीय जमीन खसरा नम्बर 845 में बिठा बेच दिया गया…..

सीमांकन हेतु पटवारी और आर आई की टीम हुई थी गठित…जांच में पाया गया कि जमीन मोपका के हिस्से की प्रतीत हो रही है और गलत तरीके से इसे लिंगियाडीह के खसरे में दिखाया गया?

(गोविन्द शर्मा की रिपोर्ट)

बिलासपुर-: बिलासपुर पूरे प्रदेश में राजस्व के मामलों में सुर्खियां बटोर रहा है आए दिन कोई न कोई जमीन की फर्जीवाड़े की खबर सुनाई दे ही जाती है इसमे सबसे ज्यादा चर्चित मोपका, लिंगियाडीह ,चिल्हाटी, सिरगिट्टी क्षेत्र रहा है जहाँ पर जमीनों को फर्जी तरीके से बैठाकर बेचने का खेल चल रहा है कुछ के प्रकरण तहसील,एसडीएम कोर्ट में चल भी रहे है ।

मामला क्या है लिंगियाडीह खसरा नम्बर198/577 का -:
लिंगियाडीह का खसरा नम्बर 198/577 जो मंगल गृह निर्माण समिति की जमीन थी ……जिसे अरपा गृह निर्माण समिति से खरीदा बताया गया।
ऐसा बताया जा रहा है कि अरपा गृह निर्माण समिति की जो जमीन बचत दिखाई दे रही थी वो उसके रोड रास्ते की जमीन थी जिसे मंगल गृह निर्माण समिति को बेचा गया ।
यह भी जांच का विषय है की आखिर कौन सी बची हुई जमीन थी जिसे अरपा गृह निर्माण ने मंगल गृह निर्माण को को बेची थी ।

शिकायत के बाद जमीन का हुआ था सीमांकन -:

शिकायकर्ता को जब इस फर्जीवाड़े का पता चला तो उन्होंने बिलासपुर कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक ,एसडीएम, तहसीलदार सभी को इसकी शिकायत की मोपका की शासकीय जमीन पर खसरा नम्बर 845 पर लिंगियाडीह की जमीन 198/577 को कब्जा दिखाया जा रहा है और उस पर अवैध रूप से प्लाटिंग भी किया जा रहा है उसके बाद तहसीलदार ने इस जमीन की दो आर आई ,दो पटवारी की टीम बना कर जांच का आदेश दिया गया जांच में पाया गया कि जिस जमीन को लिंगियाडीह की 198/577 बताई जा रही है वो मोपका की खसरा 845 की जमीन प्रतीत हो रही है।

इन सब के बाद भी मोपका की जमीन खसरा नम्बर 845 को लिंगियाडीह में दिखाकर…. खसर198/577 की रजिस्ट्री हो गई और वर्तमान में यह प्रकरण नामान्तरण के लिए बिलासपुर तहसील में लंबित है।

खेल कितना बड़ा है जब सीमांकन पर बात क्लियर हो गई कि जमीन मोपका की है तो उसे रजिस्ट्रार ने देखा क्यो नही उसकी मौके की जांच पड़ताल क्यो नही उसके बाद जब प्रकरण नामान्तरण के लिए तहसील में प्रकरण आया तो उसे खारिज अभी तक क्यो नही किया उसके बाद रजिस्ट्री शून्य करने के लिए शासन स्तर पर रजिस्ट्रार को क्यो नही पत्र जारी किया गया ?
आखिर तहसीलदार किस बात का इंतजार कर रहे है उन्ही कार्यालय के पटवारी ,आर आई ने सीमांकन करके बता दिया कि जमीन मोपका की है तो अभी तक उस पर क्या विचार किया जा रहा है जबकि नामान्तरण केंसिल के साथ रजिस्ट्रार को इस रजिस्ट्री को शून्य करने के लिए पहल कर देनी चाहिए थी जो भी इस खेल में शामिल है उन पर पुलिस के माध्यम से एफआईआर की जानी चाहिए थी और सबसे महत्वपूर्ण बात की शासकीय जमीन को बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए था।